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Saturday, July 30, 2011

भूमि अधिग्रहण

Rahul Arora

                                                                                    
           भूमि अधिग्रहण कानून किसानो के लिए आफत बन गया है.यह कानून अंग्रेजो द्वारा १८९४ मै बनाया गया था तथा आज़ादी के बाद इसे जस का तस बने रहने दिया गया.इस कानून के अनुसार जमीने के अधिग्रहण पर मुआवज़ा बाज़ार नहीं बल्कि सरकारी दर पर दिया जाता है.
इस कानून के अनुसार किसानो और आदिवासियों की खेती योग्य भूमि और बंजर भूमि सरकार द्वारा ओद्योगिक विकास एवं विशेष परियोजनाओ के लिए अधिकृत की जाती रही है.इस कानून के अनुसार जमीने पर राज्य का सर्वभोम अधिकार है और राज्य की जरुरत हो तो वह जमीने के मालिक की सहमति लिए बिना उसका अहिग्रहण कर सकता है.राज्य असके लिए जो भी मुआवज़ा तय करता है वह जमीने के मालिक को सवीकार करना पड़ता है.किसानो और आदिवासियों द्वारा समय-समय पर इस कानून का वीरोध किया गया है तथा इसमें बदलाव की मांग की गयी है.परन्तु अभी तक इस कानून मै सन्शोधन नहीं किये गए है.
कई राज्यों मै भूमि के अधिग्रहण पर मुआवजे के अलावा किसानो को नोकरी की सुविधा भी दी जाती है.कुछ समय पहले आए कोयला एवं खननं मंत्रालय के प्रस्ताव के हिसाब से किसी भी खननं के लिए अधिग्रित की गयी जमीने के मालिक को खननं कंपनिया अपने सालाना लाभांश का २६ फीसद हिस्सा देंगी. उत्तर प्रदेश मै ८ लेन के यमुना एवं गंगा एक्सप्रेस वे और सड़क के किनारे बसने वाली टाउनशिप के साथ ही ओद्योगिक भवन निर्माण और निवेश परियोजनाओ मै करीब २३००० गावों की  जमीन खप जाएगी.इससे गेहू,चावल,आलू व् गन्ने के उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ना तय है.
आज़ादी के ६३ वर्षो के बाद भी किसानो को ब्रिटिश शासन के समय का अत्याचार सहना पड़ रहा है.अंग्रेजो ने इस कानून को भारतीय लोगो का शोषण करने के लिए ही बनाया था पर अब इसमें बदलाव जरुरी है.कई परिस्थिदियो मै भूमि का अधिग्रहण करना पड़ता है क्योंकि ओद्योगिक विकास भी जरुरी है.परन्तु सरकार को चाहिए के ज्यादा-से-ज्यादा बंजर जमीन का ही प्रयोग करे और कृषि योग्य भूमि को अति आवश्यक स्थति मै ही अधिकृत किया जाये.
सवाल देश की खाद्य सुरक्षा व् संप्रभुता से जुड़ा हुआ है.क्योंकि अनाज का विकल्प तो अभी तक खोजा नहीं जा सका है और न ही वह शहरो के गमलो या फैक्ट्रीयों मै पैदा होगा.  
                                                                 
     

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